शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) के दौरान सभी भक्त मां दुर्गा (Maa Durga) की प्रतिमा के आगे बड़े से मिट्टी के
बरतन में जौ भी बोए (Jau or Jwara Pujan) बोते हैं, लेकिन क्यों? Navratri 2018: शारदीय
नवरात्रि (Shardiya Navratri) चल रहे हैं और कलश
स्थापना के
साथ सभी भक्तों ने मां दुर्गा (Maa
Durga) की प्रतिमा के आगे बड़े से मिट्टी के बरतन
में जौ भी बोए (Jau or Jwara Pujan) और इसके ऊपर कलश रख दिया. लेकिन बहुत ही कम लोगों को यह मालूम है कि आखिर
मां दुर्गा के इस पर्व पर इन हरी घास यानी जौ को उगाने का महत्व क्या है. तो चलिए
आपको बताते हैं यहां.
धार्मिक मान्यता के अनुसार धरती पर सबसे पहली फसल यानी वनस्पति
जौ उगाई गई थी. इसके अलावा यह भी माना जाता है कि अन्न भगवान ब्रह्मा का एक स्वरुप
और नवरात्रि के आखिरी दिन महागौरी की पूजा में अन्न का विषेश महत्व है. इसी वजह से
काशी में नवगौरी यात्रा के दौरान आठवीं माता यानी महागौरी का दर्शन अन्नपूर्णा
मंदिर में ही होता है. इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि माता पार्वती काशी में ही
महादेव के साथ रही थीं.
वहीं, इन सबके अलावा यह भी माना जाता है कि
नवरात्रि में जैसे-जैसे जौ बढ़ती है घर में मां की कृपा उतनी ही बढ़ती है. यह
जितनी हरी होगी घर की समृद्धि के लिए आने वाला साल उतना ही अच्छा होगा.
आपको बता दें कि नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की
पूजा की जाती है. इन सभी रूपों के नाम हैं शैलपुत्री (Shailputri), ब्रह्मचारिणी (Brahmacharini),
चंद्रघंटा (Chandraghanta), कूष्माण्डा (kushmanda), स्कंदमाता (Skandmata),
कात्यायनी (katyayani),
कालरात्रि (kalratri),
महागौरी (Mahagauri)
और सिद्धिदात्री (Siddhidatri). इन सभी माताओं का पूजन और भोग अलग तरीकों
से किया जाता है. लेकिन सभी की पूजा में जौ और कलश समान रहते हैं.
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